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सी-पेप्टाइड टेस्ट

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सी-पेप्टाइड परीक्षण शरीर में उत्पादित इंसुलिन की मात्रा निर्धारित करने के लिए किया जाता है तथा यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि रोगी इंसुलिन प्रतिरोध, टाइप 1 या टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित है या नहीं।

परीक्षण का आदेश क्यों दिया गया है?

टाइप 2 और टाइप-1 डायबिटीज़ के बीच अंतर करने में मदद करने के लिए सी-पेप्टाइड टेस्ट की सलाह दी जाती है, साथ ही हाइपोग्लाइसीमिया यानी कम रक्त शर्करा का कारण निर्धारित करने के लिए भी। इसके अलावा, यह जांचने के लिए भी टेस्ट की सलाह दी जाती है कि क्या अग्न्याशय में ट्यूमर (इंसुलिनोमा) पूरी तरह से हटा दिया गया है। यह टेस्ट यह निर्धारित करने के लिए भी सुझाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति इंसुलिन प्रतिरोधी है या नहीं।

परीक्षण की सिफारिश कब की जाती है?

यह परीक्षण टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित किसी व्यक्ति के अवशिष्ट बीटा सेल फ़ंक्शन का मूल्यांकन करने और टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति में बीटा कोशिकाओं और इंसुलिन उत्पादन की निगरानी करने के लिए किया जा सकता है। यह परीक्षण हाइपोग्लाइसीमिया वाले व्यक्तियों या जब इंसुलिन के उच्च स्तर का संदेह होता है, तो उन्हें भी सुझाया जा सकता है।

चिकित्सक इंसुलिनोमा से पीड़ित रोगियों को नियमित अंतराल पर यह परीक्षण कराने की सलाह देते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि चल रहे उपचार का रोगी की स्थिति पर उपचारात्मक प्रभाव पड़ रहा है या नहीं।

नमूना कैसे एकत्रित किया जाता है?

बांह की नस से रक्त का नमूना एकत्र किया जाता है।

परीक्षा की तैयारी कैसे करें?

परीक्षण कराने वाले व्यक्ति को परीक्षण से 8 से 10 घंटे पहले तक कुछ भी खाने-पीने से मना करने की सलाह दी जा सकती है।

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